मशहूर शायर हबीब जालिब की बड़ी पसंद की जाने वाली गजल में उन्होंने दो बहुत खूबसूरत शेर पढ़े हैं…
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तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहां तख़्त-नशीं था
उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था
कोई ठहरा हो जो लोगों के मुक़ाबिल तो बताओ
वो कहाँ…
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